पत्रकारिता का गिरता स्तर
पत्रकारिता का गिरता स्तर आज हम उस भारत में जी रहे है जहा हर संस्था अपना स्तर धीरे धीरे खोती जा रही है बात मेडिकल फील्ड की हो या राजनीतिक मैदान की या प्रशानिक कार्यशैली की हो यह हम गत वर्षों से देखते आ रहे है लेकिन इन कुछ वर्षो में जिसे भारत का चौथा स्तंभ हम सभी मानते आए है जैसे वो भी तेजी से जमींदोज होता जा रहा है हर पत्रकारिता का अपना एजेंडा पहले से सेट कर लिया जाता कहा खबर चलानी किसके खिलाफ चलानी सब पहले से प्लैनड हो चुका रहता है जिसको रसूखदार अपराधिक छवि वाला व्यक्ति या राजनीतिक आका बखूबी पहचानते है और उसी हिसाब से अपने कृत्य को अंजाम भी देते है आम जनता तो भोली भाली और मासूम होती है वो इनके इस ट्रैप के आसानी से फंसती नजर भी आती है ओर वो करे भी तो क्या उनका सूचना तंत्र ही बिका हुआ जो है सच वो जाने भी तो कैसे। बनारस में ताजा मामला पत्रकारों का गुट खुद फंसता नजर आया अपनी कलम में ही। पूरे बनारस में पत्रकारिता और पत्रकारों की अलग अलग पैठ जिससे हर व्यक्ति भाली भांति रूबरू है जहा एक बिल्डर या बिजनेस मैन किसी पत्रकार की शरण में जाता है तो एंटी पत्रकार लॉबी उसके खिलाफ लिखना सुरु कर देती है