पत्रकारिता का गिरता स्तर


 पत्रकारिता का गिरता स्तर

आज हम उस भारत में जी रहे है जहा हर संस्था अपना स्तर धीरे धीरे खोती जा रही है बात मेडिकल फील्ड की हो या राजनीतिक मैदान की या प्रशानिक कार्यशैली की हो यह हम गत वर्षों से देखते आ रहे है लेकिन इन कुछ वर्षो में जिसे भारत का चौथा स्तंभ हम सभी मानते आए है जैसे वो भी तेजी से जमींदोज होता जा रहा है हर पत्रकारिता का अपना एजेंडा पहले से सेट कर लिया जाता कहा खबर चलानी किसके खिलाफ चलानी सब पहले से प्लैनड हो चुका रहता है जिसको रसूखदार अपराधिक छवि वाला व्यक्ति या राजनीतिक आका बखूबी पहचानते है और उसी हिसाब से अपने कृत्य को अंजाम भी देते है आम जनता तो भोली भाली और मासूम होती है वो इनके इस ट्रैप के आसानी से फंसती नजर भी आती है ओर वो करे भी तो क्या उनका सूचना तंत्र ही बिका हुआ जो है सच वो जाने भी तो कैसे।

बनारस में ताजा मामला पत्रकारों का गुट खुद फंसता नजर आया अपनी कलम में ही।

पूरे बनारस में पत्रकारिता और पत्रकारों की अलग अलग पैठ जिससे हर व्यक्ति भाली भांति रूबरू है जहा एक बिल्डर या बिजनेस मैन किसी पत्रकार की शरण में जाता है तो एंटी पत्रकार लॉबी उसके खिलाफ लिखना सुरु कर देती है जैसे पत्रकारिता भी अब कमर्शियल हो चुकी है आम जनता से कोई लेना देना ही नहीं जनता भी करे तो क्या करें एक तरफ नेताओं से परेशान दूसरी तरफ करोना से जिनको जनता का साथी होना चाहिए वह दलाली में इस कदर घुल मिल चुके हैं जैसे उन्होंने अपने काम का सही अर्थ ही खो दिया अभी मामला ताजा घटना का है जिसमें बीते रविवार एक दुर्घटना में जलीलपुर चौकी के नजदीक एक व्यक्ति की मौत हो चुकी होती है जिसकी सूचना पाकर मौके पर कुछ पत्रकार बंधु पहुंचे किसी की मौत पर भी लोगों को बदला लेना नहीं भूलना चाहिए ऐसा सीख कुछ पत्रकार बंधुओं ने दिया जो इन पत्रकार बंधुओं की एंटी लॉबी थी उन्होंने दुर्घटना की खबर लिखने से पहले ही पत्रकारों के द्वारा फर्जी लूट की खबर लिख दी थी खैर मौके पर ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया लेकिन इस आपसी रंजिश में पत्रकारिता दागदार होती नजर आई जहां पत्रकार खुद कीचड़ लिए एक दूसरे पर फेंक रहे हैं ताकि खुद को बड़ा पत्रकार साबित कर सकें खैर इस बुद्धिजीवी वर्ग का इस तरह गिरना समाज के लिए काफी हानिकारक है उम्मीद करते हैं कि अपने कर्तव्य को यह बुद्धिजीवी तबका जल्द से जल्द समझे और उन दलाली के चंगुल से बाहर आए जिनके अंदर जाकर इन्होंने अपने जमीर आत्मा सब का सौदा कर रखा है वह सब भूलकर जनता के लिए यह एक मजबूत आवाज बने जिस का संकल्प शायद इन्होंने पत्रकारिता जीवन शुरू करने से पहले लिया होगा ।
 मैं अपनी इन बातों से किसी भी पत्रकार बंधु का दिल नहीं दुखाना चाहता बस उन्हें एक आइना दिखाना चाहता हूं ताकि उन्हें अपनी बिगड़ती शक्ल नजर आ सके।।


अहमद शेख✍️✍️

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